इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया

* * * इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया * * *


शब्द खो गए, विश्वास खो गया !
इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया!!

जो पहले था जीवंत, निर्जीव हो गया!
शब्द खो गए, विश्वास खो गया !!

था भाग्य दास जिसका, पुरुषार्थ आत्म जिसका!
विस्तृत असीम उसका, आकाश खो गया है!!
शब्द खो गए, विश्वास खो गया !
इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया!!

उठती थी तरंगे, निस्सार जिसमे पहले!
अब उसकी जिंदगी का ही, सार खो गया है!!
शब्द खो गए, विश्वास खो गया !
इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया!!

तेजस्व रूप जो था, उस महान रण में!
उत्साह भरने वाला, अनुराग खो गया है!!

शब्द खो गए, विश्वास खो गया !
इस ज़िंदगी से मानो, एहसास खो गया!!

लेखक
अनुराग रावत

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